जयपुर के शासक सवाई ईश्वरी सिंह ने आत्महत्या क्यों की?
12 दिसंबर 1750 ईसवी को जयपुर के शासक सवाई ईश्वरी सिंह ने अपनी तीन रानियों व एक पासवान सहित आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या का कारण था कि सवाई ईश्वरी सिंह द्वारा जो एक बड़ी धनराशि मराठों को देना निश्चित किया गया था वह उसे समय पर नहीं दे पाए थे और मराठों के जयपुर पर आक्रमण के समय 1750 ईस्वी तक वे अवसाद में आ चुके थे।सवाई ईश्वरी सिंह ने जयपुर राज्य के उत्तराधिकारी संघर्ष में अपने छोटे भाई माधो सिंह को राजमहल(जिला-टोंक,राजस्थान) के युद्ध में 1747 ईस्वी में पराजित किया था लेकिन अगले ही वर्ष 1748 ईस्वी में माधो सिंह ने बगरू (जिला-जयपुर,राजस्थान) के युद्ध में सवाई ईश्वरी सिंह को मराठों की सहायता से पराजित कर दिया तथा ईश्वर सिंह से जयपुर रियासत के पांच परगने प्राप्त किए। हार के फलस्वरुप सवाई ईश्वर सिंह को एक बहुत बड़ी धनराशि हर्जाने के रूप में मराठों को देना तय किया गया लेकिन जब ईश्वरी सिंह वह धनराशि तय समय पर मराठों को नहीं चुका पाए तो मल्हार राव होलकर व गंगाधर तात्या ने 1750 में जयपुर रियासत पर चढ़ाई शुरू कर दी तो सवाई ईश्वरी सिंह ने अपने एक व्यक्ति को दो लाख की रकम के साथ मल्हार राव होलकर के पास भेजा लेकिन इतनी छोटी रकम के साथ भेजे जाने पर मल्हार राव होलकर काफी नाराज हुए अतः जब सवाई ईश्वरी सिंह को लगा कि अब मराठों को नहीं मनाया जा सकता तो उन्होंने 12 दिसंबर 1750 की रात को अपनी तीन पत्नियों व एक उप पत्नी(पासवान) के साथ जहर खा कर आत्माहत्या कर ली उनकी आत्महत्या किए जाने का यह विवरण सर जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ जयपुर में बताया है जबकि कुछ स्रोतों में उनकी आत्महत्या इसरलाट( जयपुर में ईश्वरी सिंह द्वारा बनाई गई एक मीनार) से कूदकर भी किया जाना बताया है। इसरलाट जयपुर शहर के त्रिपोलिया बाजार में स्थित वह मीनार है जो कि सवाई ईश्वरी सिंह ने अपने छोटे भाई माधो सिंह को राजमहल के युद्ध(1747) में पराजित करने के बाद विजय के उपलक्ष में बनवाई थी।
रमन भारद्वाज
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